लिखना बहुत जरूरी है, लिखने से ज्यादा खुद के भाव को प्रकट करना ज्यादा जरूरी है । इस लिए नहीं कि मन के भावों का बाजार में कोई महत्व देगा , बल्कि इस लिये की भावों को कहीं लिखा नहीं, अभिव्यक्त नहीं किया तो भावों का भाव क्या रहेगा । यहाँ भी अपनी अपनी दृष्टि....यह मेरी बात है ।
लिखना बहुत जरूरी है , लिखना बन्द तो पढ़ना बन्द , लिखना बन्द तो सोचना बंद ,लिखना बन्द तो खुद का मूल्यांकन बन्द । लिखेंगे तो ही तो पढ़ेंगे..कभी अपना ही , तो कभी किसी औऱ का ....पढ़ेंगे तो ही तो सुधरेंगे । सुधरेंगे नहीं तो बढ़ेंगे कैसे ?
तो इसी लिये लिखना जरूरी है ,खुद को अभिव्यक्त करना जरूरी है....फेसबुक की तात्कालिक जिंदगी में बहस है, उलझन है कभी कभी स्वागत- तिरस्कार है , शायद ब्लॉग की जिंदगी लम्बी है - गम्भीर है , समझदार है ....ना हो , तो भी कभी हो जाएगी । पर जो लिखा जायेगा वह सदैव सामने होता है ...हमेशा हमेशा ।
तो बस अभी यहीं डेरा है ...यही लिखेंगे....खुद को सुधारेगें....खुद को अभिव्यक्त करेंगे....फेसबुक पर केवल घूमनें चलेंगे ....रोज रोज ।
4 comments:
नियमित लिखो
शुभकामनाएं
लिखना ही तो है , बस आप की गम्भीर सम्पादकीय नजरें ,लिखे हुए को निहारती रहें ।
लो कर लो बात हम जब फार्म में आने लगे आप उस प्लेटफार्म को छोड़ गए खैर लिखिए अगर नजर पड़ेगी तो जरूर घमासान मचाने पहुंचेंगे
आप का इंतज़ार सदैव रहेगा
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