Sunday, November 14, 2021

बाल दिवस .....कभी तो अपना भी था ।

बाल दिवस घोषित है अतः सभी को बाल दिवस की शुभकामनाएं । आज नहीं , तो कभी तो हम सब बच्चे थे ही ,बस उसी बचपन की याद में बाल दिवस की शुभकामनाएं ।

जब छोटे थे ,तो स्कूल में 14 नवम्बर के आस पास बाल मेला लगता था, बच्चों के द्वारा- बच्चों के लिये मेला । अच्छी तरह याद है , मेले में स्टॉल लगाते थे....टॉफी, चॉकलेट , टमाटर - सलाद चाट और समोसे..... एक समोसे के टो टुकड़े और दो दोने चाट तैयार ।

    हाथ रिक्शा पर चलने वाले सरदारजी की  सलाद चाट  पूरे शहर में प्रसिद्ध थी , तो अपनी  बाल मेले की दुकान के लिये दोस्तों के साथ इन्हीं से कुछ मसाला खरीदते थे और इसी में अंडे वाले कि दुकान से मसाला ला कर मिला लेते थे..... आखिर  व्यापार में बजट बहुत बड़ा विषय होता था । 7 दिन चलने वाले इस मेले अपनी पूर्व बचत पूँजी होती थी और मेले से हुई  बचत आने वाले  दिनों में खुद की दावत का जुगाड़ । 

साथ ही विद्यालय की प्रार्थना सभा मे बाल दिवस पर गुरु जनों के भाषणों के बीच कुछ विधार्थियो की कविता - भाषण औऱ जिंदाबाद । यही- इतना सा था बाल दिवस ।

पर समझ कभी नहीं आया, कि नेहरू जी चाचा क्यूँ घोषित हुए औऱ क्यूँ उनके जन्म दिन को बाल दिवस बना दिया । सम्भवतः राजनीति के किसी अनुयायी ने अपने नम्बर बनाने लिए इस दिन को बच्चों के नाम कर दिया ।

जिस देश मे भक्त प्रह्लाद , तर्कशील नचिकेता , वीर लव कुश , महान बलिदानी साहिबजादे ( गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्र ) , शहीद खुदीराम जैसे......और भी बहुत सारे अनुकरणीय बच्चों की श्रंखला हो वहाँ एक खालिस राजनेता के नाम पर बाल दिवस ????? अपनी तो समझ से बाहर है , आप के समझ आता हो तो बताइये......

खैर तब तक जब तक कि 14 नवम्बर बाल दिवस है तब तक अपने खुद के बचपन के लिये शुभकामनाएं.....बचपन जिंदा रहेगा तो हम जिंदा रहेंगे । 

हाँ आप ने  बचपन मे बाल दिवस कैसे मनाया जरूर याद कर लेना और  यादें साझा कर लोगे तो लगेगा कि यादें - याद हैं ।


2 comments:

GKK said...

मुरमुरे के लड्डू। kaash un sab program ki photo hoti. Aaj sirf yaadein hai

प्रशांत गुप्ता said...

मुरमुरे के लड्डू , मूल्या की चाट ओर 20-25 पैसे में आने वाली पानी वाली कुल्फी या बर्फ ....


यादें तो हैं ही ।