23 जनवरी यादों से भरा है ,कॉलेज समयकाल में आजाद हिन्द सेना के नाम से संगठन का गठन और 23 जनवरी को सुबह से शाम तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन ....लगता था जैसे कोई महापर्व मना रहे हैं।
लगभग 15- 16 साल पूर्व तक , जब तक नॉकरी के लिये बाहर न निकलना पड़ा था....लगभग एक माह पूर्व से भी 23 जनवरी के कार्यक्रमों की तैयारी प्रारम्भ होती थी....योजना व वित्त की भी । पर नेताजी के नाम से सब में जोश अथाह रहता था ।
प्रातः वैदिक यज्ञ, फिर स्कूली विद्यार्थियों के साथ शोभायात्रा , अस्पताल में सेवा कार्य , और सायं काल मे ,राजगढ़ के ऐतिहासिक कुंड पर दीपदान..... सुभाष के जयकारों के बीच पूरा दिन विविध आयोजनों के साथ निकल जाता था । विद्यार्थी जीवन मे सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर विद्यार्थियों का एकत्रीकरण , कार्य करने का जज्बा स्वतः प्रकट हो जाता था । जेब मे पैसा नहीं पर , कार्य करना है तो करना है.....बस इसी जिद के चलते टोली के सामने , वित्त का अभाव भी हार मानता था । कहीं से मांग कर टेक्टर या जुगाड़ की व्यवस्था...टेंट वाले से सफेद चद्दर की धुलाई के आधार पर निःशुल्क सामान और कहीं से माइक की बैटरी....जब मांग कर ।
अब केंद्र सरकार द्वारा इंडिया गेट के सम्मुख नेताजी की मूर्ति लगाने का निर्णय हुआ है, उस स्थान में इन से ज्यादा उपयुक्त कौन होगा । 125 वीं जन्म जयंती पर ...काश नेताजी से जुड़े अन्य रहस्य भी जनता के सामने खोले जायें ।
सुभाष न शब्दों में समेटे जा सकते हैं और न ऐसी कोशिश करनी चाहिये..... ये तो वे हैं जिन्हें आजादी के बाद भी गुमनाम छोड़ने की कोशिश हुई पर वे प्रखर सूर्य की रोशनी की तरह , सच्चे भारतीयों के ह्रदय में राष्ट्र भक्ति की रोशनी जलाते रहे और जलाते रहेंगे ।
2 comments:
बिल्कुल ....वो समय भी गजब था....अब सोचते हैं तो यकीन नहीं होता कि उस उम्र में क्या क्या कर लिया था।
उस उम्र में.....जज्बा खूब था....
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