पुरुषोत्तम.... पुरुषों में सबसे श्रेष्ठ । भारत के इतिहास में हजारों महान विभूतियों , सन्तों , गुरुओं , ईश्वरीय रूपों , महान राजाओं , ऋषियों , ज्ञानी - विज्ञानियों का जन्म हुआ पर भारत की सभ्यता ने पुरुषोत्तम नाम दिया केवल एक को....मेरे राम को ।
राम....जो भारत के प्राण है , राम बिन सब सुना है । जन्म पर भी राम , मरण पर भी राम , मिलने पर भी राम और विदाई पर भी राम , सुख में भी राम और दुख में भी राम ।
एक जनप्रिय राजकुमार जो राजा बनने से एक दिन पूर्व बिना किसी मोह के वन वास के लिये निकल पड़े , राजा बनने का भी वही भाव था जो माँ- पिता आदेश पर वन जाने का । चार भाइयों का स्नेह इतना कि एक सेवा के किया साथ चल पड़ा और दूसरा राज्य मिलने के बाद भी राम प्रेम में सिंघासन ठुकरा कर 14 वर्ष धरती पर भी गड्डा खोद कर सोया । पत्नी इतनी समर्पित की राजा की पुत्री होकर भी अपने हमसफर के साथ वन में चल पड़ी ।
राम... महल से चले तो अपने मित्र निषाद राज के मेल से , वनों में बसे ऋषियों , वनवासियों , के प्रेम को समेटते हुए , वनवासी मां शबरी के झूठे बेरों का प्रसाद , वन के हुनमान - जामवंत का प्रेम , विश्वास , समर्पण ले , विश्व की तात्कालिक महाशक्ति रावण को पराजित करते हैं , जहाँ का राज्य जीता वहीं के व्यक्ति को समर्पित किया । युवा अवस्था मे राज्य गया , राजकुमारी के साथ वन में निकले , वन में पत्नी का हरण हुआ , सब कुछ दाव पर लगा पर जिन्होंने अपना संयम , स्नेह , नीति , अपना धैर्य , अपना अनुशासन नहीं छोड़ा....वापस लौटे तो सर्वप्रथम उस माँ से मिले जिसने उन्हें राजा से वनवासी बना दिया था ।
वन गये थे तो राजकुमार राम थे ,पर लोटे तो भगवान राम थे....प्रजा, जन क्षेत्रो के निवासियों का स्नेह , वनवासियों का अगाथ लगाव , साथ ले कर लोटे ।
राम मतलब पूर्णता , राम मतलब धैर्यता , राम मतलब नीति , राम मतलब सहनशीलता , राम मतलब विनम्रता ,राम मतलब पुत्र - भ्राता - पति - पिता - राजा - मित्र के कर्तव्यों से पूर्ण , राम मतलब इंसान के भगवान होने का सफर .....और मेरे जैसों के लिये राम मतलब पूर्ण ब्रह्म ।
श्रेष्ठ वही है जो हर परिस्तिथि में सम भाव बनाये रखे ....तभी तो भारत के हर चेतन्य विचार ने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा और साकार- निराकार हर विचार ने राम को ही मुक्ति मार्ग । राम नाम ने उन सब को तारा है जो राम नाम के हो गये और उन्हें भी जो राम नाम से राम नाम ले अलग हो गये ....आखिर राम , राम जो ठहरे ।
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