Sunday, February 1, 2015

धर्म परिवर्तन... जिम्मेदार कोन ।


ईसाई मिशनरियो की गतिविधि किस तरफ ओर किस तरह बढती हे , यह पता था । आदिवासी व् दूरदराज के ईलाके इन के आसन निशाने थे पर कुछ समय से राजगढ़ में भी इन्हें सक्रिय होता देख रहा था । ngo के चहरे के नीचे एक बड़ा  संगठन यहाँ सक्रिय हो गया हे , जिस का चिन्ह भी धार्मिक चिन्ह हे ।आज झटका लगा जब एक अस्पस्ट जानकारी मिली की एक परिवार ने अपनी उपासना पद्धति परिवर्तित करी हे । अगले रविवार को इस परिवार से मिलना तय हुआ हे।
    पर मुद्दा इस से कुछ अलग हे । इन ईसाई मिशनरियो या इस तरह के NGO को जो विदेशी मदद मिल रही हे उस का समाधान क्या हे । क्या समाज इन  घटनाओ पर सक्रिय होगा । मेरा मत स्पस्ट हे , आप अपने विचारो से किसी भी उपासना पद्धति को अपना सकते हे । पर विचारो को बनाने या बिगाड़ने का काम प्रलोभन या सेवा की आड़ में किसी को नहीं करना चाहिए ।
       मेरी दिक्कत ये मिशनरियां नही बल्कि भारतीय वर्ग की अपने लोगो के प्रति उदासीनता हे । बड़े बड़े भंडारे या धार्मिक आयोजन की जगह यदि वंचित वर्ग पर यह धन खर्च हो तो , न केवल व्यापक समाज आगे बढ़ेगा बल्कि इस तरह की समाज  घाटी घटनाओ में भी रोक लगेगी । पर अफ़सोस हे की समाज के पास बाबाओ के आयोजन के लिए धन उपलब्ध हे पर इस दरिद्र नारायण के लिए तंग हाथ । हम यदि जिम्मेदारियों के प्रति नही चेते तो समस्या के आगमन पर उस के प्रभाव के किये  तॆयार रहना  चाहिए ।
     आज भी यह घटना संघ स्वयं सेवक के रूप में सामने लाई गई ओर  संघ को ही समाज के लिये चिंतित व स्कछम समझा जाता हे इस पर हर्ष  मिश्रित प्रश्न था की किस रूप में हम काम कर सकते हे । सक्रिय वनवासी कल्याण परिषद , विद्या भारती , के माध्यम से या किसी ओर रूप से ।

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