Thursday, August 13, 2009

तिरंगे कि दूर्दशा




(ये फोटो दिल्ली जोधपुर इंटरसिटी ट्रेन मे लिया गया है , ओर ज़रा खिड़की के पास टके थैले को देखिये , जी हाँ ये तिरंगा है हमारा राष्ट्रीय ध्वज )

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे कि इस दशा पर आंसू आ रहे है उस से ज्यादा इस उन्नत ओर आगे बढ़ रहे देश के हालात पर , लाखों शहीदों कि कुर्बानियों पर मिली इस आज़ादी मे हम अपने लोगों को मूलभूत न तो बाते बता पाये ओर न ही मूलभूत सुविधा - शिक्छा दे पाये , मुझे इस ओरत से कोई नाराजगी नहीं है उस को तो तिरंगे ओर दूसरे कपडे मे कोई अंतर ही नहीं मालूम , पर अफ़सोस है ट्रेन के टीटी , रेलवे पुलिस के जवान ओर सामने कि बर्थ पर बैठे भी पढे लिखे लोगों पर जो तिरंगे कि दुर्दशा को देख उसे एक प्रदर्शनी बनाये हुई थे , किसी ने उस अनपढ़ महिला को टोका भी नहीं , जैसे ही उस को बताया उसने इस को खली कर दूसरे थैले मे रख भी लिया


पर यदि आज़ादी के 60 साल बाद भी हमारी जनता इस से अनभिज्ञ है तो कोन दोषी है , देश का नेत्रत्व करने वाले नेता - अफसर या आप ओर हम , हम चाँद ओर मंगल , तेजी से बढती अर्थव्यवस्था , कि बात करते है पर इस फोटो को देख कर सोचिये जरा ,कि क्या हम वाकई आगे बढ़ रहे है , क्या हम ज्यादा ही आजाद हो गये है या हम आज़ादी का पर्व मनाने का हक रहते है ??

" स्वाधीनता दिवस कि सभी को शुभकामना ओर शहीदों को नमन , साथ ही भरोसा कि देश शहीदों के सपने वाला देश जरूर बनेगा "

3 comments:

निर्मला कपिला said...

desh keprati jagaruk rahane vale insaan ke duara is ghaTanaa ko likhanaa bahut achha lagaa dhanyavaad aur jai hind

GKK said...

shayad dikkat yeh aa gayi hai ki azaadi se pahle rashtriya dhwaj ko log ek samman ki drishti se dekhte the, tirange ke liye jaan de dete hai, shayad hamari primary school level per yeh nahi sikhaya jaata, school me hi rashtra samman ki bhavna jaagrit ho sakti hai, aajkal tirange ka samman sirf sports me hi hota hai jab hum kisi doosri country ke against jeet rahe hote hai tab shaan se lahrate hai, lekin usko vastavik jeevan me angikaar nahi kar paate.. isme koi shak nahi hai ki jo hamara netratav kar rahe hai unki kahi na kahi galti ya kamjori hai

Vinay said...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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