Friday, November 11, 2022

राम.....पुरुषोत्तम राम

 पुरुषोत्तम.... पुरुषों में सबसे श्रेष्ठ । भारत के इतिहास में हजारों महान विभूतियों , सन्तों , गुरुओं , ईश्वरीय रूपों , महान राजाओं , ऋषियों , ज्ञानी - विज्ञानियों का जन्म हुआ पर भारत की सभ्यता ने पुरुषोत्तम नाम दिया केवल एक को....मेरे राम को ।


राम....जो भारत के प्राण है , राम बिन सब सुना है । जन्म पर भी राम , मरण पर भी राम , मिलने पर भी राम और विदाई पर भी राम , सुख में भी राम और दुख में भी राम ।


एक  जनप्रिय राजकुमार जो राजा बनने से एक दिन पूर्व बिना किसी मोह के  वन वास के लिये निकल पड़े , राजा बनने का भी वही भाव था जो माँ- पिता आदेश पर वन जाने का । चार भाइयों का स्नेह इतना कि एक सेवा के किया साथ चल पड़ा और दूसरा राज्य मिलने के बाद भी राम प्रेम में सिंघासन ठुकरा कर 14 वर्ष धरती पर भी गड्डा खोद कर सोया । पत्नी इतनी समर्पित की राजा की पुत्री होकर भी अपने हमसफर के साथ वन में चल पड़ी ।


राम... महल से चले तो अपने मित्र निषाद राज के मेल से , वनों में बसे ऋषियों , वनवासियों , के प्रेम को समेटते हुए , वनवासी मां शबरी के झूठे बेरों का प्रसाद , वन के हुनमान - जामवंत का  प्रेम , विश्वास , समर्पण ले , विश्व की तात्कालिक महाशक्ति रावण को पराजित करते हैं , जहाँ का राज्य जीता वहीं के व्यक्ति को समर्पित किया । युवा अवस्था मे राज्य गया , राजकुमारी के साथ वन में निकले , वन में पत्नी का हरण हुआ , सब कुछ दाव पर लगा पर जिन्होंने अपना संयम , स्नेह , नीति , अपना धैर्य , अपना अनुशासन नहीं छोड़ा....वापस लौटे तो सर्वप्रथम उस माँ से मिले जिसने उन्हें राजा से वनवासी बना दिया था । 


वन गये थे तो राजकुमार राम थे ,पर लोटे तो भगवान राम थे....प्रजा, जन क्षेत्रो के निवासियों का स्नेह , वनवासियों का अगाथ   लगाव , साथ ले कर लोटे ।


राम मतलब पूर्णता , राम मतलब धैर्यता , राम मतलब नीति , राम मतलब सहनशीलता , राम मतलब विनम्रता ,राम मतलब पुत्र - भ्राता - पति - पिता - राजा - मित्र के कर्तव्यों से पूर्ण , राम मतलब इंसान के भगवान होने का सफर .....और मेरे जैसों के लिये राम मतलब पूर्ण ब्रह्म ।


श्रेष्ठ वही है जो हर परिस्तिथि में सम भाव बनाये रखे ....तभी तो भारत के हर चेतन्य विचार ने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा और साकार- निराकार हर विचार ने राम को ही मुक्ति मार्ग । राम नाम ने उन सब को तारा है  जो राम नाम के हो गये और उन्हें भी जो राम नाम से राम नाम ले अलग हो गये ....आखिर राम , राम जो ठहरे ।


Sunday, January 23, 2022

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस.... जन्म जयंती और यादें ।

नेताजी  सुभाष चन्द्र बोस......नाम ही काफ़ी है ,रोम रोम में देश भावना प्रवाहित करने के लिये । आजादी का अमर मतवाला ,जिस ने आजादी के समर की धारा ही बदल दी । अकेला चल पर ,विदेशी भूमि पर एक विशाल सेना का निर्माण ,प्रथम आजाद भारत सरकार का निर्माण ...9 विदेशी सरकारों से मान्यता और भारत की तात्कालिक सेना में  चिंगारी का प्रवाह.......सुभाष नाम ही काफी है ।

23 जनवरी यादों से भरा है ,कॉलेज समयकाल में आजाद हिन्द सेना के नाम से संगठन का  गठन और 23 जनवरी को सुबह से शाम तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन ....लगता था जैसे कोई महापर्व मना रहे हैं। 

लगभग 15- 16 साल पूर्व तक , जब तक नॉकरी के लिये बाहर न निकलना पड़ा था....लगभग एक माह पूर्व से भी 23 जनवरी के कार्यक्रमों की तैयारी प्रारम्भ होती थी....योजना व वित्त की भी । पर नेताजी के नाम से सब में जोश अथाह रहता था ।

प्रातः वैदिक यज्ञ, फिर स्कूली विद्यार्थियों के साथ शोभायात्रा , अस्पताल में सेवा कार्य , और सायं काल मे ,राजगढ़ के ऐतिहासिक कुंड पर दीपदान..... सुभाष के जयकारों के बीच पूरा दिन विविध आयोजनों के साथ निकल जाता था । विद्यार्थी जीवन मे सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर विद्यार्थियों का एकत्रीकरण , कार्य करने का जज्बा स्वतः प्रकट हो जाता था । जेब मे पैसा नहीं पर , कार्य करना है तो करना है.....बस इसी जिद के चलते टोली के सामने , वित्त का अभाव भी हार मानता था । कहीं से मांग कर टेक्टर या जुगाड़ की व्यवस्था...टेंट वाले से सफेद चद्दर की धुलाई के आधार पर निःशुल्क सामान और कहीं से माइक की बैटरी....जब मांग कर ।

अब केंद्र सरकार द्वारा इंडिया गेट के सम्मुख नेताजी की मूर्ति लगाने का निर्णय हुआ है, उस स्थान में इन से ज्यादा उपयुक्त कौन होगा । 125 वीं जन्म जयंती पर ...काश नेताजी से जुड़े अन्य रहस्य भी जनता के सामने खोले जायें ।

सुभाष न शब्दों में समेटे जा सकते हैं और न ऐसी कोशिश करनी चाहिये..... ये तो वे हैं जिन्हें आजादी के बाद भी गुमनाम छोड़ने की कोशिश हुई पर  वे प्रखर सूर्य की रोशनी की तरह , सच्चे भारतीयों के ह्रदय में राष्ट्र भक्ति की रोशनी जलाते रहे और जलाते रहेंगे ।