महाराष्ट्र के सांगली जिले मे गणेश जी विसर्जन नहीं हो पा रहा है मूर्तिया खंडित की जा रही है , मिराज ओर जिले के दूसरे हिस्सों मे सांप्रदायिक तनाव है हिन्दू आस्था पर चोट की जा रही है पर कही कोई खबर नहीं कोई विरोध नहीं . सांप्रदायिक तनाव का कारण है की किसी गणेश पंडाल मे शिवाजी महाराज के हाथो से अफज़ल खान के वध की प्रदर्शनी लगी हुई थी , ये अफज़ल वर्तमान का अफज़ल नहीं शिवाजी के समय का है
महाराष्ट्र मे इतना सुब कुछ हो गया पर कही कोई हल्ला नहीं , गोपीनाथ मुंडे को एयर पोर्ट पर रोकने पर हुऐ हल्ले पर जरूर एक दिन खबर दी गई पर कही के उल्लेख नहीं था की सांप्रदायिक तनाव के चलते गणेश विसर्जन ही रुका हुआ है , ओर देखिये विवाद का विषय भी इतिहास की एक सत्य घटना . अब शिवाजी महाराज पर भी लोगो को आपति होने लगी ओर आपति की हद भी इतनी की हिन्दू आस्था पर ही चोट कर दी , गणेश मूर्तियों पर पत्थर उछाले गये
हिन्दू धर्म पर चोट से इस देश की धर्म निरपैक्छ्ता को बल मिलता है तभी तो न मीडिया मे ओर न ही तथाकथित धर्म निर्पैक्छ्ता के तैकैदारो को कोई परेशानी हुई , इन से मुझे कोई उम्मीद भी नहीं है पर भारत का आम आदमी - ये कब तक सोता रहेगा , महाराष्ट्र मे चुनाव है इस तनाव को भी हिन्दू संगठनो से जोड़ दिया गया , गणेश मंडलों को शिवाजी व् अफजल का पोस्टर लगाने पर नोटिस दिया गया , मुस्लिम वोटो के लिये शिवाजी द्वारा अफज़ल वध के पोस्टर हटा दिये गये ओर मूर्तियों पर पथराव को पुलिस देखती रही ताज्जुब कही कोई खबर ही नहीं
क्या हिन्दू की बात करने से इस देश की शांति भंग हो जाती है , सोचिये जरा यदि कुछ ऐसा ही किसी मुस्लिम या ईसाई आस्था पर हुआ होता तो देश की संसद से लेकर मीडिया ओर सड़क छाप धर्म निर्पैक्छ्ता के तैकैदारो का क्या हाल होता . ये केवल हिन्दू या मुस्लिम की बात नहीं है , सही ओर गलत मे अंतर की बात है , अफज़ल खान जैसे लोगो मे अपना नेत्रत्व तलाश करने की बात है , फिर भी इस देश मे अल्पसंख्यक "खतरे" मे है
9 comments:
हां भाई साहब, इस तरह की बातें करोगे तो आप पर भी साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का आरोप लग जाएगा। और आप पर भी "साम्प्रदायिक, संघी" इत्यादि लेबल चस्पां कर दिए जाएंगे. चाहे चिपलूनकर साहब हो, चाहे आप हों, या चाहे मुझ जैसा व्यक्ति, जो इन बातों का समर्थन करे, वह इन सियारों के मोहल्ले में अलग-थलग ही रहेगा. मीडिया को गाली देने का कोई फायदा नहीं, कारण कि मल में गिरे हुए पर पत्थर मारने का कोई फायदा नहीं. तथाकथित छद्म धर्मनिरपेक्षी मीडियामैनों की कौम नाजायजों की ही जमात है...
ऐसा तो होना ही है जब तुष्टिकरण को आधिकारिक सरकारी नीति बना दिया गया है | youtube link : http://www.youtube.com/watch?v=nsX6LYdNBNw
http://www.youtube.com/watch?v=o-J0mD8naAg
http://www.youtube.com/watch?v=mCEQBAqkK78
http://www.youtube.com/watch?v=ib-RvVtQsQc
http://www.youtube.com/watch?v=Ut7HebM1Eck
http://www.youtube.com/watch?v=GsXGL6HWskU
http://www.youtube.com/watch?v=gQq0-ZEGLZ4
@ Rakesh Singh -अंडे डंडे झंडे की वीडियो दिखाकर किया हासिल, जेसी चाहो वेसी वीडियो हाज़िर कर दूँ, और हाँ आपकी पोस्ट अंतिम अवतार पर अभी मेरा जवाब मुकम्मल नहीं है तनिक और ज़रूरी कामों से निबट लूँ फिर अवतार अवतार खेलेंगे.
सटीक लेख |
मोहम्मद साहब , ये अंडे डंडे की फोटो नहीं विचारो के स्तर की फोटोज है , अवतार ओर अन्य धार्मिक मान्यताओ पर चर्चा आप को मुबारक , हम अपनी धार्मिक मान्यताओ को दिल से मानते है ओर दूसरो की मान्यताओ को स्वीकार करते है ये विवाद का विषय नहीं है , पर आप तय करे की आप शिवाजी के साथ है या अफजल रुपी आक्रान्ता के साथ , हमारी धार्मिक मान्यताये अलग है पर परम्परा - इतिहास ओर पूर्वज तो एक ही है , फिर आज जब अफजल जैसे आक्रान्ता के समर्थन मे कुछ लोग आतंक फैला रहे है ओर दूसरे समुदाय की धार्मिक रीतिरिवाजों पर चोट कर कर रहे है तो आप जैसे लोगों को उन का विरोध करना चाहिये न की अन्य मुद्दों से उसे टालना या उस का समर्थन नहीं करना चाहिये
दोष जड़ मे है और हम पत्तियां तोड रहे हैं।इस देश की चुनाव प्रणाली ने सारे दलों को तुष्टिकरण की राह पर धकेल दिया है जो किसी भी सूरत मे अच्छी बात नहि है।
मैं अपने देश की तरफ हूं,साथ ही राकेश सिंह जैसे के खिलाफ भी हूं जिन्हें दुनिया में इस्लाम के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता, ध्यान दिजिये मैंने केवल राकेश सिंह को कमेंट पर कमेंट किया था, पोस्ट पर कुछ लिखने के योग्य अपने को नहीं समझ पा रहा हूं क्यूंकि मैं समझता हूं यह बडे लोंगों की बडी बातें Big game है
अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
मैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी "में पिरो दिया है।
Bahut der se sabke comments aur reactions parh raha hun. Na chahte hue bhi is "COMMENTS KI JUNG" mein koodna pad raha hai. Sirf do sawal hai sabhi se. Why there is a necessity to display such type of JHANKI or POSTERS?? What they people want to show??
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