Sunday, August 23, 2009

"मेरे घ्रर आई एक नन्ही परी"


मेरी बिटिया , बहुत इंतजार कराया है इसने पर कहते है ना कि इंतजार का फल मीठा होता है , इसके नन्हे कदमों ने पूरे परिवार मे खुशिया बिखेर दी है , बिटिया के रूप मे लक्ष्मी जो आई है ( इसकी पडदादी ने इसको इसी नाम से पुकारा है )

Thursday, August 13, 2009

तिरंगे कि दूर्दशा




(ये फोटो दिल्ली जोधपुर इंटरसिटी ट्रेन मे लिया गया है , ओर ज़रा खिड़की के पास टके थैले को देखिये , जी हाँ ये तिरंगा है हमारा राष्ट्रीय ध्वज )

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे कि इस दशा पर आंसू आ रहे है उस से ज्यादा इस उन्नत ओर आगे बढ़ रहे देश के हालात पर , लाखों शहीदों कि कुर्बानियों पर मिली इस आज़ादी मे हम अपने लोगों को मूलभूत न तो बाते बता पाये ओर न ही मूलभूत सुविधा - शिक्छा दे पाये , मुझे इस ओरत से कोई नाराजगी नहीं है उस को तो तिरंगे ओर दूसरे कपडे मे कोई अंतर ही नहीं मालूम , पर अफ़सोस है ट्रेन के टीटी , रेलवे पुलिस के जवान ओर सामने कि बर्थ पर बैठे भी पढे लिखे लोगों पर जो तिरंगे कि दुर्दशा को देख उसे एक प्रदर्शनी बनाये हुई थे , किसी ने उस अनपढ़ महिला को टोका भी नहीं , जैसे ही उस को बताया उसने इस को खली कर दूसरे थैले मे रख भी लिया


पर यदि आज़ादी के 60 साल बाद भी हमारी जनता इस से अनभिज्ञ है तो कोन दोषी है , देश का नेत्रत्व करने वाले नेता - अफसर या आप ओर हम , हम चाँद ओर मंगल , तेजी से बढती अर्थव्यवस्था , कि बात करते है पर इस फोटो को देख कर सोचिये जरा ,कि क्या हम वाकई आगे बढ़ रहे है , क्या हम ज्यादा ही आजाद हो गये है या हम आज़ादी का पर्व मनाने का हक रहते है ??

" स्वाधीनता दिवस कि सभी को शुभकामना ओर शहीदों को नमन , साथ ही भरोसा कि देश शहीदों के सपने वाला देश जरूर बनेगा "

Tuesday, August 11, 2009

"राष्ट्रीय राजमार्ग पर आप का स्वागत है "

मार्ग भी कई तरह के होते है न , गाँव की पगडण्डी -सिंगल सड़क - राज्य सरकार के राजमार्ग ओर राष्ट्रीय राजमार्ग वैसे ही जैसे गाँव - क़स्बा -जिला ओर राजधानी , अब देश की वर्तमान स्थिति की चलते गाँव - क़स्बा -जिला मे सुविधाओ की तो उम्मीद छोड़ दीजिये पर राजधानी मे तो कुछ उम्मीद कर ही सकते है , पर वहां भी हाल बेहाल मिले तब ? राष्ट्रीय राजमार्ग पर उम्मीद की जा सकती है बढ़िया सड़क कि , वैसे सड़क है तो उस मे गड्ढा तो होगा ही , कही कही गड्ढो मे सड़क भी , लालू भी कभी पटना की सडको को ....के गालो की तरह बनाना चाहते थे पर बात केवल बात बन कर रह गई

अभी NH 8 पर रेवाडी से जयपुर जाना हुआ , राष्ट्रीय राजमार्ग की सुविधा के उपभोग के लिये आने जाने के लिये करीब 250 रुपे का टोल टैक्स भी दिया , पर गड्ढो से बचने के लिये अपनी कार की स्त्त्येरिंग को बार बार घुमाता ही रहा , नजर आस पास की गाडियों के आलावा सड़क के संभावित गड्ढो पर भी टिकी रही , जाते वक्त तो हालात को फिर भी कुछ टीक थे है पर जयपुर से वापसी के वक्त " है भगवान ". लग रहा था की किसी गाँव की सड़क पर है , वैसे गावों कि सड़क इस ज्यादा अच्छी है , इतने भारी टोल टैक्स का मतलब केवल सरकारी डंडे से वसूली लगा ,जयपुर से दिल्ली राजमार्ग दो राजधानियों को जोड़ने वाला - दो पर्यटक राजधानियों को जोड़ने वाला मार्ग है साल मे लाखों देशी विदेशी पर्यटक इस मार्ग पर सफ़र करते है .. . पर इस की हालात देख कर बहुत दुःख हुआ .. कहते है सड़क देश का आइना है , राजमार्ग की हालात देख इस आइने से क्या देखे समझ नहीं आता


जान का क्या है भाई जल्दी है , ऊपर की फोटो भी राष्ट्रीय राजमार्ग की ही है - करीब 100 की स्पीड पर चल रही इस जीप मे ये लोग पीछे लटक रहे है , यात्रियों को न तो अपनी सुरक्छा की चिंता है ओर न ही जीप चालको को पुलिस का भय .. ओर न ही पुलिस को अपने काम की याद .


वैसे राजमार्ग पर लगा बोर्ड अब भी कह रहा है "राष्ट्रीय राजमार्ग पर आप का स्वागत है "