Monday, July 20, 2009

जगह ढूंढती संवेदनाये

कल घर से ट्रेन मे वापस आ रहा था , हजारो करोड़ के मुनाफे वाली ट्रेन मे यात्रियों का हाल देख मुनाफे पर शक होता है , जनरल बोगी की तो बात छोडिये रिजेर्वेशन बोगियों मे भी जगह तलाशना मुशिकल है , खैर जुगाड़ लगा ही लेते है तो ऊपर की बर्थ पर सामान इधर उधर कर अपनी तो व्यवस्था हो गई, अपनी आदत के चलते जगह मिलते ही एक किताब निकाल कर उस मे लग गया , खैर जी छोडिये मुद्दे पर आते है .

कहते के कि महिलाओ को महिलाओ कि बड़ी चिंता होती है ( आज तक मे इस को समझ नहीं पाया हूँ ) , एक दूसरे के लिये बड़ी संवदेनशील होती है , पर कल इस सफ़र मे जो देखा को समझ नहीं आया . भीड़ के चलते मैं तो ऊपर चढ़ गया था पर नीचे कुछ हल्ला देख नीचे ध्यान गया , नीचे कि बर्थ पर कुछ महिलाओ का ही रिजेर्वेशन था , एक बर्थ पर दो दो जेंटल लेडी ही बैठी हुई थी , महिलाये थी इसीलिये कोई भी वहां जगह नहीं मांग रहा था , पर एक महिला यात्री जिस कि गोद मे एक बच्चा भी था , उस भीड़ मे उन महिलाओं से वहां जगह मांग बैंठी , उस कि उम्मीद गलत भी नहीं थी वो बार बार कह रही थी कि उस को अगले स्टेशन पर उतरना है , पर ताज्जुब हुआ उन पड़ी लिखी महिलाओं कि संवेदनाओ वो देख कर , साफ साफ शब्दों मे उस महिला को जगह देने से मना कर दिया , आमने सामने कि तीन बर्थ पर 6 महिला ओर एक बच्चे को गोद मे लिये हुई एक महिला ,पर शर्म उस को बैठने कि जगह नही मिली कारण , वो महिलाये आराम करना चाहती थी शाम के सात बजे .वहां खडे कितने ही लोगों ने उन से उस महिला को जगह देने का आग्रह किया पर सब व्यर्थ था , उस महिला ने भीड़ मे ही आगे निकाल कर जगह तलाश करना उचित समझा , आगे उसे तुरंत जगह भी मिल गई .

इतना होने के बाद मेरा ध्यान भी नीचे ही लग गया , देखा कि कुछ महिला समितियों के लैटर हैड नजर आये , बातों पर ध्यान दिया तो सुना कि ये सभ्रांत महिलाये महिला समितियों से जुडी थी ओर दिल्ली मे किसी महिला सम्मेलन मे हिस्सा लेने जा रही थी . अब आगे क्या कहै , देश मे समलैंगिको के लिये संवेदनाये स्थापित कि जा रही है पर शायद मानवीय संवेदनाये खुद अपनी जगह तलाश रही है

5 comments:

निर्मला कपिला said...

aapase kis ne kah diyaa ki mahilaayeM mahilaayoM ke liye saMvedansheel hotee haiM sac poocheM to mahilaa kee dushman hee mahilaa hoti hai sharmnak prasang hai vo bhi jo mahilaon ki hitaishi hone ka dam bharati hain aabhaar

GKK said...

ladies ko ladies ki koi chinta nahi hoti hai, even in my college, girl's good friends are male person. (dont want to create controversy). nirmala ji ke vichaar ki ladies ki sabse badi dushman ladies hi hoti hai. chahe wo dahej pratha dekh lo ya fir ladki paida hone per..

Udan Tashtari said...

हर तरह के लोग मिल जाते हैं..अब बताईये..

Anita kumar said...

अब बताइए ऐसे भी महिलाएं हैं

Prem said...

jee haan hote hain ainse log.aapki baaki rachnaayen bhi padi achcha laga badhai