Thursday, May 21, 2009

चुनाव परिणाम - प्रश्न कारण, ख़ुशी और उम्मीद

एनडीए की हार और यूपीए की जीत ने मन को उदास भी किया है, बहुत कुछ सोचने को मजबूर किया। चुनाव परिणाम काफी ज्यादा आश्‍चर्यजनक रहे। न एनडीए को अपनी इतनी बुरी हार का अंदेशा था और न ही कांग्रेस को इतनी सफ़लता की उम्मीद। फिर ये हुआ क्या, क्या जनता के अंदर कोई चुपचाप लहर चल रही थी जिसे कांग्रेस, बीजेपी और एक मतदाता के रूप में आप और हम महसूस नहीं कर पाए। फिर ऐसा क्या हुआ की परिणाम ऐसा आया।

कुछ प्रश्‍न सामने आए हैं।
1. क्या जनता सोचती है - जो सोचते है वो वोट नहीं डालते और जो नहीं सोचते वो वोट डालते है।
2.क्या ये डेमोक्रेसी की जीत है - तब शायद 75 फीसदी वोटिंग होती न की 50 फीसदी से कम।
3.क्या ये युवा वर्ग की जीत है - लगभग 50 सांसद युवा माने जा रहे है, इनमे से कितने आप-हममें से है, वो युवा वर्ग के प्रतिनिधि माने जाएंगे या पारिवारिक राजनीति के वारिस, मुझको तो कई बार ये लगता है ये प्रक्रिया छोटे छोटे रियासतों के युवराजों का राज्याभिषेक है।
4.क्या ये मुद्दों की जीत है- तब शायद महंगाई, 60 सालों में देश में हुआ विकास, अल्‍पसंख्‍यक समुदाय का विकास ( वैसे मैं बहुसंख्‍यक और अल्‍पसंख्‍यक के सिद्धांत को ही देश हित मे नहीं मानता), कालाधन विदेशों से भारत मे वापिस लाना, तीन लाख तक इनकम टैक्स से मुक्ति, देश की सीमाओं की सुरक्षा आदि मुद्दे देश को प्रभावित कर पाए या नहीं आप देखें ।
5.क्या ये नेतृत्व आधारित जीत है – आडवाणीजी और श्रीमती सोनिया-राहुल गाँधी मे समानता कैसे की जा सकती है, एक तरफ है 60 साल का राजनीतिक सफर व दूसरी तरफ है पारिवारिक विरासत को भोगने वाला वंश, जिसने आज़ादी मे दिए अपने पूर्वजों के योगदान को खूब भुनाया है। यदि मनमोहन सिंह जी की बात करें (व्‍यक्‍ितगत रूप से मैं इन की ईमानदारी और काबलियत पर शक नहीं कर रहा हूं) तो गाँधी परिवार के एक सीईओ से ज्यादा क्या भूमिका मानूं।
6.क्या ये धर्म निरपेक्षता की साम्प्रदायिकता पर जीत है- हम किस को साम्प्रदायिक और धर्म निरपेक्ष प्रतिनिधि मानते है, आखिर क्‍यों हिन्दू हित की बात करना साम्प्रदायिक और मुस्लिम व ईसाई हित की बात करना धर्म निरपेक्ष माना जाता है।

फिर आखिर ये क्‍यों हुआ, मुझे जो लगता है -
1.वोटिंग प्रतिशत का ऐतिहासिक रूप से कम होना
2.मुस्लिम और ईसाई वोटिंग, पूरी तरह से कांग्रेस के पक्ष मे गई (यूपी, आंध्र, केरल ) सपा, बसपा और कामरेडों को भी छोड़ दिया गया।
3.बीजेपी के वोटर व कैडर वोट डालने-डलाने के लिए नहीं निकले।
4.बीजेपी अपने मुद्दे जनता तक नहीं ले जा सकी, अपने असली मुद्दों की जगह नकारात्मक प्रचार उन को ले डूबा।

फिर भी मैं कुछ खुश भी हूं क्‍योंकि-
1.कांग्रेस को 200+ सीटें आने से एक स्थाई सरकार की उम्मीद जगी है।
2.लालू , मुलायम, मायावती, कामरेड, जया के हॉफ और पासवान व चौटाला के साफ होने से दबाब की राजनीति कुछ कम होने की उम्मीद है।
3.बीजेपी को अपनी नीति, कार्यशैली और नए नेतृत्‍व पर विचार करना होगा ।
4.इन परिणामों से शायद, सोचने वाला वर्ग वोट डालने के बारे मे भी सोचेगा।

खैर पॉँच साल तक इस सरकार को ही देश को आगे बढाना है, कुछ उम्मीद है मुझे -
1.गाँधी परिवार के सीईओ डॉ.मनमोहन सिंह जी पॉँच साल तक प्रधानमन्त्री बने रहेंगे, युवराज राहुल बाबा बीच मे ही नहीं टपकेंगे।
2.आतंकवाद को हिन्दू या मुस्लिम मे नहीं बताया जाएगा. अफज़ल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फाँसी की सजा मिलेगी ।
3.गैस के सिलेंडर बिना लाइन के मिलेंगे व घर का बजट महंगाई से नहीं बिगडेगा, शेयर मार्केट की "कालाबाजारी" बंद होगी।
4. हिन्दुतान की सम्पदा पर सभी भारतवासियों का हक माना जाएगा न की केवल मुस्लिम समुदाय का ( मनमोहन सिंह का पूर्व बयान याद रखें)।
5. बिना राज्य, धर्म और भाषा के भेदभाव के विकास का माहौल उपलब्ध किया जाएगा।
6. बीजेपी अपनी गलतियां सुधार लेगी
और
2014 का चुनाव देश के लिए देश के नाम पर लड़ा जाएगा।

4 comments:

GKK said...

yeh koi muddo ki jeet to hai hi nahi, only positive to stability hi hia, jo ki aam aadmi ko prabhavit kar sakti hai, lekin BJP ab or bhi side line ho sakti hai kyoki congress me bhi padhe likhe log hai , achchi cabinet bani to wo bhi development hi karenge, tab sabse bada question yeh hi rahega ki BJP Comeback kaise karegi

Unknown said...

Bhai tu ye insurance chod kar book likhne lag ja... really dil se kahta hu hit ho jaega....

madhav said...

Is desh ki politics mien mudde koi mayne nahi rakhte. Ye hamare desh ka badluck hai.

Basically election ke result yahan jaativaad ke aadhar par bante hain na ki kisi quality par.

BJP ke manifesto ko dekh kar to mujhe aisa lagta hai ki jaise vo voters ko lollipop de rahi hai.

aur kai baar aisa bhi lagta hai ki apne desh ki janta "emotional fool " hai.
Tabhi to usne Mr.PM ke statement (About First right on nation's wealth)ko bhi ignore kar deiya.

Kya kahu yaar? :-(

Vageesh Vaidvan said...

I dont know how your friends are so fool when u r so mature. You have done right analysis.

Please keep it up. Country need the eople like u. Who can think above caste and dynasties, who can look behind the scene, who can understand the real game, and above all who take the responsibility to educate the people through blogs.