Thursday, May 14, 2009

एक चुनाव देश के नाम पर ..................


क्या संभव है कि एक चुनाव केवल देश के नाम पर लड़ा जाये। परिवार, विरासत, जाति, साम्प्रदायिकता,भाषा , राज्य से हटकर हम देश की , देश के विकास की बात करें एक जाति और धर्म की नहीं भारतवासी की बात करें। आज किस पर भरोसा कर सकते हैं, कोई पारिवारिक विरासत के साथ चुनाव मे आता है तो कोई अपनी जाति और धर्म के बल पर। केवल आता ही नहीं है चुनाव जीतता भी है..........टीवी पर या सार्वजानिक सभा मे देश सेवा से चालू हो कर बिना रुकावट जाति धर्म के मुदे पर पहुचे बिना आज कोई चर्चा पूरी नहीं हो रही है। इस बार के चुनाव मे तो हर लक्ष्मण रेखा पार हुई है.... परिणाम वोटिंग प्रतिशत में ही साफ दिख रहा है। अभी तो मध्य है अंत बाकी है, कितनी बड़ी मंडी इस बार सजने वाली है या सज चुकी है। वो सेवा के नाम पर जीने मरने वाले इन राजनेताओ का चरित्र एक बार फिर सामने लायेगी।
बिलकुल मत मानना कि मैं निराश हूं ये देश मेरा है ....मैं निराश हो ही नहीं सकता हूं पर बात समाधान की करनी तो होगी। राजनीति का मतलब राज करने की नीति से है और राज कर्तव्य पालना से जुड़ा होता है..पर आज ये राजनीति केवल सत्तानीति मे तब्दील हो गई है ,जहाँ कर्तव्य नहीं अधिकार और ताकत प्रभावी है.यहाँ मैं इस परिस्थति के लिये राजनेताओ से ज्यादा, पढे लिखे उस तबके को ज्यादा दोषी मानता हूं, जो खुद अपने कर्तव्यो से दूर हो गया है। हमारा प्रभावी वर्ग अपनी बनाईं इस व्यवस्था का आनंद ले रहा है और बहुसंख्यक तबका अपनी रोजी रोटी की ही चिंता में लगा है। आज आपको नहीं लगता की जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे है जाति, धर्म की बात घटने की जगह बढ़ रही है। युवा राजनीति से दूर हो रहा है और राजनेताओ की नई पीढी विदेशों से पढ़ लिख कर राजनीति मे प्रवेश कर रही है। जिसे युवा राजनीति का नाम दिया जा रहा है, ये सब अकस्मात् नहीं है। अपने परिवार के भविष्य के लिये , राजनीति और देश के लिये हम मे निराशा व उदासीनता पैदा की जा रही है, अपना रास्ता बनाया जा रहा है ये आपको -हमको समझना होगा।
अपने देश की खातिर इस वर्ग पर अंकुश लगाने के लिये आगे आइये ,मैं राजनीति मे आने के लिये नहीं पर समाज मे अपनी प्रभावी भूमिका निभाने के लिये कह रहा हूं .... आप जहाँ है, जहाँ मौका मिले देश को जगाने की कोशिश करनी होगी ..वरना आलोचना का अधिकार भी हम छोड़ देगे। आप प्रयास प्रारम्भ कीजिये और विश्वास करना की एक चुनाव केवल देश के नाम पर देश के लिये लड़ा जायेगा।

5 comments:

विजय तिवारी " किसलय " said...

सटीक अभिव्यक्ति है आपकी
- विजय

GKK said...

jab tak development ke naam per vote nahi dalega tab tak to koi ummed nahi hai, har koi neta opportunity ko dekh kar group change karta rahega, but still there is hope, at least younger generation can make a difference

Sumit Bhargava said...

bat to sahi hai apke bt aap vote ache aadmi ko denge ya party ko isley bhaiya vote dena bhi ek badi baat hai tumne kafi acha leka hai no doubt

Anonymous said...

waise aisa nhi kha ja sakta ki abki baar devlopment k name per vote na gye ho... gujrat me modi, delhi me sheela, or bihar me nitish ka ana is baat ka sanket h ki devlopment k liye voting hui h... thoda samay lagega per ab janta apne vote k adhikar ko janne lagi h...

Anonymous said...

waise aisa nhi kha ja sakta ki abki baar devlopment k name per vote na gye ho... gujrat me modi, delhi me sheela, or bihar me nitish ka ana is baat ka sanket h ki devlopment k liye voting hui h... thoda samay lagega per ab janta apne vote k adhikar ko janne lagi h...

-ashutosh