Tuesday, April 14, 2020

राम.....मेरे राम

राम....दो शब्द जो भारतीयता में जीवन से लेकर मृत्यु तक , स्वागत से लेकर विदाई तक , उत्सव से लेकर मोक्ष तक पार लगाते हैं । इक्वाक्षु कुल भूषण राम ,  ऐसा जीवन पथ बना गये जो आज भी राजा - शिष्य - भाई- सखा- पति के रूप में आदर्श की परिकाष्ठा है ।

राम, जो जीवन तार दे ...राम जो अंदर की डोर को अंदर बैठे परमात्मा से मेल मिला दे...राम जो निराकार सर्व शक्तिमान को , आकार में साकार कर दे ।

राम..जो बचपन से लेकर आखरी गति तक केवल ओरों के लिये थे.....राजकुमार जो  कभी सुख से राज न कर पाये , पर इसमें भी उन्होंने आनन्द का भाव ले कर जीवन जीया ।

क्या ना था उनके पास ? फिर भी क्या ले कर चले ?  राम थे.... भगवान राम बन कर वन से वापस आये । निषाद- केवट- भील- वानर- रीक्ष - नाग - राकक्ष .... राम ,अकेले चले थे पर जब आये तो ये सब उनके प्रिय थे , सही में  अब ये सब उनकी आत्मा थे ।  वापसी पर , वही वन वासी हनुमान ही तो राम तक पहुंचने के मार्ग बन गये .... शायद इसी राम हनुमान का सखा प्रेम है,  कि भारत में राम से ज्यादा मंदिरों में  हनुमान पूजित  हैं ।

राम क्यूँ राम है ....  हम कल्पना से सिहर उठेंगे जब सुबह मिलने वाले राज मुकुट की जगह वन गमन के आदेश मिल जाये... जिसको चतुरंगणि सेना , दुनिया के सारे भोग मिलने वाले हों , वह पिता के आदेश पर सब कुछ छोड़ वन को चल पड़े , बिना किसी विरोध- बिना किसी आक्षेप के । जिस माँ ने यह परिस्ताथि पैदा की वह भी उनके लिये हमेशा प्रथम पूज्य माँ रही । इतनी की वन से आपसी पर भी सर्व प्रथम उसी माँ से मिलने पहुंचे । जो जनता उनके इशारे पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो...उसे पिता - जन्म भूमि की सेवा का आदेश दे वे वन को चल पड़े ।

वे बाली वध कर के भी बाली के प्रिय थे , उसके पुत्र के संरक्षक थे ,  जिनके लिये सीता प्राण प्रिय हैं पर जिनका राज कर्तव्य पति के निजी कर्तव्य से ज्यादा राजा व प्रजा के भाव पर टिका है ।

राम ...उस  माँ शबरी के प्राण हैं जिसने अपना जीवन राम राम में निकाल दिये और जब मिले तो समर्पण में अपने जुटा बेर राम को खिला दिये ताकि कोई खट्टा बेर राम को न मिल जाये ।


राम....जिसने 14 वर्ष के वनवास को ऐसे आनन्द से जीया की जब लौटे तो  राम - राम न रहे , भारत के आराध्य राम बन गये.... ऐसे राम जिन्हें जाने बिना कोई भारत का नहीं हो सका । किसी ने उन्हें निराकार ईश्वर का नाम माना तो किसी ने साकार ईश्वर ...किसी ने सखा तो किसी ने प्राण ...

राम तो अनन्त हैं....आनन्द हैं ।।