Tuesday, March 3, 2015

धारा 370


संविधान का यदि कोई अनुच्छेद सबसे विवादित हे तो वह हे 370 । अपनी उत्पत्ति से लेकर अब तक यह विवादित ही रहा हे । पर यह हे क्या ,यह भी कम जानकारी के अभाव में विवादित ही रहा । चार प्रश्न हे
1) अनुच्छेद370 हे क्या ।
2) इस का प्रभाव क्या हे
3)ओर क्या इस को हटाया जा सकता हे ।
ओर
4) क्या यह कश्मीर व् भारत के विलय का सूत्र हे ।

   यह धारा संविधान के 21वें भाग में समाविष्ट है जिसका शीर्षक है- ‘अस्थायी, परिवर्तनीय और विशेष प्रावधान’ (Temporary, Transitional and Special Provisions).
    धारा 370 के शीर्षक के शब्द हैं - जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अस्थायी प्रावधान (“Temporary provisions with respect to the State of Jammu and Kashmir”)
    अर्थात संविधान बनाने वालो ने ही इसे अस्थाई प्रावधान माना था ।
     परन्तु इसे सबसे ज्यादा विवादित बनता हे इस का अनुच्छेद-35(A)  इस अनुच्छेद में कहा गया की जम्मू कश्मीर की विधानसभा स्थाई निवासी को परिभाषा निश्चित करे ओर शेष लोगो के अधिकारों को सीमित करे ।ओर इस पर भी सबसे बड़ा विवाद यह की इस अनुच्छेद को राष्ट्रपति के संवेधानिक आदेश 1954 से जोड़ा गया । वास्तव में इसे नहरू व् अब्दुल्ला की आपसी बैठक के बाद 1954 लाया जाना निश्चित किया गया था ।
           हटाया जाना-धारा 370 का उप अनुच्छेद 3 बताता है कि ‘‘पूर्ववर्ती प्रावधानों में कुछ भी लिखा हो, राष्ट्रपति प्रकट सूचना द्वारा यह घोषित कर सकते है कि यह धारा कुछ अपवादों या संशोधनों को छोड दिया जाये तो समाप्त की जा सकती ह़े ।
      विलय का सूत्र:- एक बड़ा भ्रम यह भी हे । भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के अंतर्गत जम्मू कश्मीर के राजा व् अन्य राजाओ को भारत या पाकिस्तान में विलय का विशेषाधिकार प्राप्त हुआ था । जम्मू कश्मीर के राजा ने इसी विशेषाधिकार का उपयोग कर विलय पत्र ( Instrument of Accession ) पर हस्ताक्षर किये । जिससे यह भारत का अभिन्न अंग हो गया । 370 को इस से जोड़ना मात्र भ्रम फैलाना हे ।
       धारा 370 ने जम्मू कश्मीर के लोगो के जीवन पर काफी बुरा प्रभाव् डाला हे । समय हे इस को जानने व अवलोकन करने का राजनीती विचारधारा से परे ।