Monday, February 7, 2011

बसंत.. अज्ञान से ज्ञान कि ओर एक कदम ॥

" या कुन्देन्दु तुषार हारधवला या शुभ्रवस्त्राव्रता , या वीणावर दंड मण्डितकरा या श्वेतपधमासना |
हस्ते स्फाटिकमालिकं विदधति पध्मासने सन्सिथ्तां | वन्दे तां पर्मैश्वरी भगवति बुधिप्रदां शारदाम॥ "

त्रि देवियों मे भगवती सरस्वती विधा ,ज्ञान ओर वाणी कि देवी हे तथा वाक़ , वाणी , गिरा, भाषा , शारदा , गो , सोम लता , वागदेवी , वागीशवरी आदि नामों पूजित हे | बसंत पंचमी के पर्व पर आप को नमन ओर सभी को बधाई |

हे भगवती इस बसंत पंचमी पर आप को पुकार रहा हूँ , इस भारत वर्ष पर अपनी कृपा करो | बचपन मे याद हे कि इस दिन पीले कपडे पहनने को मिलते थे , अपने स्कूल मे भी आप कि पूजा - पीले फूलो से कर आशीष मांगते थे , घर पर भी के तरह के मीठा - नमकीन पीले चावल बना करता था , आप कि पुत्री ये प्रकर्ति भी फूलो से पैड पोधो को धक् कर आप को नमन करती थी , ज्ञानी - अज्ञानी आप से बुद्धि - विवेक का आशीष माँगा करते थे |

पर पता ही नहीं चला कि आपने कब अपनी कृपा का हाथ इस भारत वर्ष से उठा लिया ओर तब से ही इस देश के बुरे दिन आ गये , देश के नेताओ के लिये आप कि पूजा सांप्रदायिक , तेजी से आगे बढ रही युवा पीढी के लिये पुरातन परंपरा , तथाकथित व् स्व घोषित बुधिजिवि वर्ग के लिये हिंदूवादी हो गई , प्रकर्ति को हम ने ही समेट दिया - जहा खेत थे वहा फैक्ट्री ओर पार्को कि जगहे बड़ी बड़ी बिल्डिंग बन गई , |

माँ , पर हम साधारण भारत वासी यों से क्या नाराजगी , हर तरफ से लुट पिट रहे इस आर्य व्रत के हर निवासी कि तरफ से मेरी प्राथना हे कि हमारे अज्ञान ओर जड़ता को दूर करने लायक ज्ञान का प्रकाश हमे दो | हम किताबी ओर रोटी जूगाडु ज्ञान के अंधकार से बाहर आ कर इस देश को तथा विव्श्व कि सबसे पुरानी मानव सभ्यता को एक नई दिशा दे पाये | एक एसा समाज बनाये जहा ज्ञान का मतलब समाज से कटना नहीं बल्कि समाज का खवैया बनना हो ओर जो समाज देश मे बढ़ ते भष्टाचार ओर सामाजिक उदासीनता पर अंकुश लगा पाये |
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