Wednesday, September 9, 2009

अब धर्म निरपैक्छ्ता को खतरा नहीं



महाराष्ट्र के सांगली जिले मे गणेश जी विसर्जन नहीं हो पा रहा है मूर्तिया खंडित की जा रही है , मिराज ओर जिले के दूसरे हिस्सों मे सांप्रदायिक तनाव है हिन्दू आस्था पर चोट की जा रही है पर कही कोई खबर नहीं कोई विरोध नहीं . सांप्रदायिक तनाव का कारण है की किसी गणेश पंडाल मे शिवाजी महाराज के हाथो से अफज़ल खान के वध की प्रदर्शनी लगी हुई थी , ये अफज़ल वर्तमान का अफज़ल नहीं शिवाजी के समय का है



महाराष्ट्र मे इतना सुब कुछ हो गया पर कही कोई हल्ला नहीं , गोपीनाथ मुंडे को एयर पोर्ट पर रोकने पर हुऐ हल्ले पर जरूर एक दिन खबर दी गई पर कही के उल्लेख नहीं था की सांप्रदायिक तनाव के चलते गणेश विसर्जन ही रुका हुआ है , ओर देखिये विवाद का विषय भी इतिहास की एक सत्य घटना . अब शिवाजी महाराज पर भी लोगो को आपति होने लगी ओर आपति की हद भी इतनी की हिन्दू आस्था पर ही चोट कर दी , गणेश मूर्तियों पर पत्थर उछाले गये
हिन्दू धर्म पर चोट से इस देश की धर्म निरपैक्छ्ता को बल मिलता है तभी तो न मीडिया मे ओर न ही तथाकथित धर्म निर्पैक्छ्ता के तैकैदारो को कोई परेशानी हुई , इन से मुझे कोई उम्मीद भी नहीं है पर भारत का आम आदमी - ये कब तक सोता रहेगा , महाराष्ट्र मे चुनाव है इस तनाव को भी हिन्दू संगठनो से जोड़ दिया गया , गणेश मंडलों को शिवाजी व् अफजल का पोस्टर लगाने पर नोटिस दिया गया , मुस्लिम वोटो के लिये शिवाजी द्वारा अफज़ल वध के पोस्टर हटा दिये गये ओर मूर्तियों पर पथराव को पुलिस देखती रही ताज्जुब कही कोई खबर ही नहीं

क्या हिन्दू की बात करने से इस देश की शांति भंग हो जाती है , सोचिये जरा यदि कुछ ऐसा ही किसी मुस्लिम या ईसाई आस्था पर हुआ होता तो देश की संसद से लेकर मीडिया ओर सड़क छाप धर्म निर्पैक्छ्ता के तैकैदारो का क्या हाल होता . ये केवल हिन्दू या मुस्लिम की बात नहीं है , सही ओर गलत मे अंतर की बात है , अफज़ल खान जैसे लोगो मे अपना नेत्रत्व तलाश करने की बात है , फिर भी इस देश मे अल्पसंख्यक "खतरे" मे है