Monday, June 29, 2009

कोई बचाये इन नकलचियों से

अभी ज्यादा दिन नहीं हुऐ है मुझे ब्लॉग पर आये हुऐ और ज्यादा कुछ लिखा भी नहीं है , पर पता नहीं ये भाई साहब कहा से मेरे पीछे लग गये , जनाब नै मेरे दो लेख , अपने नाम से अपने ब्लॉग पर डाल दिया , ये तो धन्यवाद " हिंदी ब्लॉग टिप्स " का जहाँ जाने पर पता लगा की मेरे दो लेख भी चोरी हो गये है , जनाब नै उसी दिन अपना हाथ साफ किया है , पर क्या करे भाई साहब समय इन के हाथ मे नहीं है , टाइम नहीं बदल पाये
जनाब का नाम शिवम् मिश्रा है और मैनपुरी उत्तर प्रदेश से है , बुरा भला के नाम से इन का ब्लॉग है ,

मेरा एक लेख है " प्रधानमंत्री जी , क्या आप को नींद आ रही है "
http://burabhala.blogspot.com/2009_05_01_archive.हटमल

और दूसरा है " दर्द प्राइवेट नोकरी का "
http://burabhala.blogspot.com/2009/06/blog-post_06.html?showComment=1246282288837#
ब्लॉग पर नया हूँ , आदरणीय पाठक कृपया बताये की इस का क्या समाधान है .


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Monday, June 22, 2009

हाँ मै हिन्दू हूँ


हाँ मै हिन्दू हूँ , मुझे गर्व है आदि सनातन धर्म का अनुयाई होने पर , मुझे गर्व है की मै विश्व की सबसे उदार , सहनशील और मात्रत्व भावः से विश्व बंधुत्व और हर प्राणी के हित की बात करने वाली इस महान सभ्यता का निवासी हूँ , और इस पर गर्व करते वक्त मुझे बिलकुल भी भय नहीं है कोई मुझे साम्प्रदायिक कहे या संकुचित ..... मै हिन्दू हूँ ,।

ताज्जुब होता है ना ,जब कोई इस धर्म को हिन्दू , सनातन , वैदिक या और किसी नाम से पुकारता है , यही से इसकी खूबसूरती चालु होती है , किसी भी धार्मिक पुस्तक मे हिन्दू शब्द भी नहीं है , फिर भी यह धर्म हिन्दू के नाम से जाना जाता है , कभी सिन्धु के पार रहने वालो को हिन्दू कहा जाता था और कभी क्या , कुछ सालो पहले तक हर भारतवासी को हिन्दू के नाम से ही जाना जाता था , ये वो परंपरा है जिस का नामकरण इस भूभाग से हुआ है , ये वो धर्म है जहाँ धर्म का अर्थ कर्त्तव्य पालन से है ।

मै जानता और मानता भी हूँ की मेरे धर्म मे काफी बूराइया भी प्रवेश कर गई है , फिर भी मै गर्व करता हूँ की मै हिन्दू हूँ , मेरा धर्म अपनी बुराइयों पर चर्चा करने उन पर प्रश्न उठाने और उन्हें दूर करने का प्रयास करने की भी इजाजत देता है ,हाँ यहाँ मेरा मत बड़ा स्पष्ट है की ये बुराइयाँ मूल धर्म में नहीं बल्कि समय के साथ इसमे शामिल हुई हैं ।

धर्म की सीधी सी परिभाषा है अपने कर्तव्यो की पालना , एक संतान के लिये माँ और पिता , एक विद्यार्थी के लिये गुरु , राजा के लिये देश और प्रजा किसी भी ईश्वरीय आराधना से पहले माने गये है , यदि हम अपने मूल कर्तव्यों की ही पालना करलें तो भी हिन्दू धर्म के अनुयाई के रूप मे हम चल सकते हैं ।

ये मेरा धर्म कला , विज्ञान , स्वास्थ्य ( आयुर्वेद , योग ), गीत - गायन , शस्त्र विद्या ,नगर स्थापत्य , जैसे विभिन् गुणों और मानव विचार की हजारों विचारधाराओं को अपनी गोद मे फलने फूलने का मौका देता है ।

ये बहु देव , बहु पुस्तक , बहु विचारधारा का धर्म माना जाता है ,, काफी लोग इस पर इस धर्म की आलोचना भी करते है .. पर मैं इसे जीवंत धर्म का सबसे बड़ा प्रमाण मानता हूँ , धर्म की साधना का मतलब इश्वर तक पहुचना है और मेरे धर्म का मत है की वो परमसत्ता इतनी उदार , विशाल ह्रदय है की जिस नाम से , जिस विधि से , जिस रूप मे हम उस को पुकारे वो हम को अपना लेता है , वो इतना निरंकुश या तानाशाह नहीं है अपने एक ही नाम , एक ही भाषा , एक ही विधि से हमारी पुकार सुनता हो , मैं चाहूँ तो निराकार या साकार रूप मै , पुरुष रूप मै या स्त्री रूप मै , जीवंत गुरु या ग्रन्थ गुरु रूप मै , प्रकर्ति मे या ध्यान , मे उस परमपिता को पुकार सकता हूँ , माध्यम चाहे विधिविधान से पूजा हो , तप हो , गीत हो संगीत हो या मात्र अपने मूल कर्तव्यो की पालना हो ..

इसी लिये ये सनातन है , आदि अनादी है और जीवन्त धर्म है औऱ यही हिंदुत्व है ।